चाँद झील में उतर
नर्म दूबों पर चलने को आतुर है....
सितारे गलीचों की शक्ल ले
मचल रहे हैं....
ख़्वाबों के मेले ने
गुल खिलाये हैं
कोई गुनगुना रहा है.....................
सुना था,
अम्बर पे अनहोनी
नज़र आती है
आज देखा और
महसूस किया है...........
फूलों की बारिश में
अमृत भी छलका है,
ढोलक की थाप पर
मन ये धड़का है....
धरती का रोम-रोम
गोकुल बन बैठा है !..............
प्यार अमरनाथ,प्यार गोकुळ,प्यार मथुरा,प्यार चनाब,प्यार सरहदों के आर-पार.....
कभी दर्द ये देता है,कभी ख़ुशी.......
आराधना'मुक्ति' - http://feministpoems. blogspot.in/
मेरी ज़िन्दगी में तुम्हारे आने से
कुछ बदल गया है
बदल गये हैं गीतों के मायने
वो मन की गहराइयों तक
उतरने लगे हैं
देने लगे हैं आवाज़
मेरी भावनाओं को
मानो मेरी ही बातें
कहने लगे हैं,
बदल गया है मौसम का अन्दाज़
वो बातें करता है मुझसे
चिड़ियों के चहकने से
बारिश के रिमझिम से
मेरे साथ हँसता-रोता है मौसम
पहले सा नहीं रहा,
बदल गयी मेरे पाँवों की थिरकन
मेरा बोलना, मेरा देखना
मैं खुद को ही अब
पहचान नहीं पाती
सब बदल गया है,
मेरी ज़िन्दगी में तुम्हारे आने से
कुछ नया हुआ है
पहले की तरह अब
नहीं लगता डर मुझे
पुरुषों पर
कुछ-कुछ विश्वास हो चला है.
अंजू चौधरी - http://apnokasath.blogspot. in/
प्यार .......ये वोह शब्द है जो अधूरा होते हुए भी अपने आप मे..पूर्ण है
प्रेम अजेर अमर है !गंगा जल समान ...प्रेम राधा है ..प्रेम मीरा है ....प्यार वोह प्याला है
जिस ने पिया ...बस उस का रसपान वही जाने !भीड़ मे प्यार है जिस के साथ वोह फिर भी अकेला है ...और अकलेपन में है साथी उसका प्यार...सच्चा प्यार उस मोती समान ॥जो सुच्चा है पवित्र है ..........प्यार को परिभाषित ना करो दोस्तों ......ये अपनेआप मे है पूर्ण ..........
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आँखों के रस्ते से जो दिल में उतरे हो ,
वही बसेरा तुमने बना लिया ,
चाहू या ना चाहू मै ,
फिर भी मेरा साथ तू ने पा लिया है ,
ये प्रेम की डगर पर मुझे साथ ले कर ,
चले हो मेरे मन के मीत ,
चलना साथ..........
देखो कही ......
भटक ना जायू...अटक ना जायू ...खो ना जायू ,
इस दुनिया की भीड़ में ..
हे ! मेरे मीत ,प्रेम के गीत ,
दे कर अपनी आवाज़ ....
डालना मेरे पैरो में प्यार की बेडियाँ ,
मेरे चेतन तन और अव् चेतन मन में ,
तूने दिया तीन शब्द का गीत,
सत्यम,शिवम् ,सुन्दरम ...........
जिसने मुझे किया इस प्रेम मै पवित्र ......
प्रेम की परिभाषा में मेरा ,
तन तो राह साथ पर ,मन खोया हर बार !
थामना अब .......
क्यूंकि अब तो तन और मन की भाषा बदली सी है ,
इस जीवन को मान के नाटक ...
दिया है सोंप अब तुझे ,
चाहे कठपुतली बना नचा ले ,
या दे मुझे भी ,सबकी नज़रो मे सम्मान ...
ना दौलत का नशा ,ना है धन की है चाह मुझे
मिले जो तुझे से सच्चा प्यार ..
बस वही है मेरा अपना ........
बस वही है मेरा अपना ...............
आँखों के रस्ते से जो दिल में उतरे हो ,
मार्क राय - http://markrai.blogspot.in/
तुम जो कहो
उसे प्रकाशित कर दूँ
अपने सर्वस्व को
तुम पर न्योछावर कर दूँ
अपनी समस्त ऊर्जा को
विश्रित कर दूँ
तुम जो कहो
अपने स्पर्श से
तुझे उष्मित कर दूँ
तेरे दर्द को ओढ़कर
ख़ुद को
धन्य कर दूँ
तुम जो कहो
तुझ पर जीवन
अर्पण कर दूँ
तेरे चेहरे का गुलाल
और लाल कर दूँ
दमकते सूरज को
निहाल कर दूँ
तुम जो कहो
दिन हो या रात
धुप हो या छांव
तेरे कदमों में
सर रख दूँ
तुम जो कहो
डा. रमा द्विवेदी - http://ramadwivedi. wordpress.com/
खुदा ने अगर दिल मिलाये न होते
तो तुम तुम न होते हम हम न होते|
न यह हिम पिघलता न नदियां ये बहती
न नदियां मचलती न सागर में मिलती।
सागर की बाहों में गर समाये न होते
तो तुम तुम न होते हम हम न होते |
न साग्र यह तपता न बादल ये बनते
न बादल पिघलते न जलकण बरसते
जलकण धरा मे गर समाये न होते
तो तुम तुम न होते हम हम न होते |
न रितुयें बदलती न ये फूल खिलते
न तितली बहकती naभौरे मचलते
अगर प्यार के ये झरोखे न होते
तो तुम तुम न होते हम हम न होते
खुदा ने अगर दिल मिलाये न होते
तो तुम तुम न होते हम हम न होते |
................ प्यार - एक ख़ामोशी है,सुनती है कहा करती है ....... कहती रहेगी,आप सुनिए ....
कल भी
आज भी
आज भी
कल भी...........क्रमशः
बहुत उत्कृष्ट रचनाओं को पढवाने के लिये आप का आभार..रश्मि जी..
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविताएँ हैं. मेरी कविता सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद :)
जवाब देंहटाएंपुनः...प्रेम पगी प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंधरती का रोम-रोम
जवाब देंहटाएंगोकुल बन बैठा है !.........
बढ़िया लिंक्स
न रितुयें बदलती न ये फूल खिलते
जवाब देंहटाएंन तितली बहकती naभौरे मचलते
अगर प्यार के ये झरोखे न होते
तो तुम तुम न होते हम हम न होते
बिल्कुल सच ..
सुन्दर रचनाओं के साथ मेरा गीत सम्मिलित करने के लिए बहुत -बहुत धन्यवाद रश्मि जी ...
जवाब देंहटाएंरश्मि जी.... चुनिन्दा ब्लोग्स को एक स्थान पर लाकर आपने बहुत ही अच्छा कार्य किया है.... सभी रचनाये पूर्णतया प्रेम रस में पगी हुई हैं...आभार
जवाब देंहटाएंशालिनी
ज्ञान की ज्योत जलाते चलो
जवाब देंहटाएंप्रेम की गंगा बहाते चलो...
भगीरथ बनी हैं आप...प्रेम-गंगा पावन निर्मल!!
बेहद सुन्दर संकलन..!!
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