बालू के घरौंदे ...
छप छप होती लहरें
किसी नन्हीं चिड़िया का इधर उधर देखना
चलते चलते हाथ पकड़ यूँ ही मुस्कुराना
अचानक बारिश की बूंदों से भीगना
तवे पर किसी के लिए रोटियाँ सिंकना .... प्यार होता तो यही है !
....
कहते हैं लोग ताजमहल है प्यार का प्रतीक !!!
एक अदभुत ईमारत है ज़रूर
अदभुत दृश्य .... पर प्यार !
.....
प्यार तो टूटी झोपडी में होता है
जब टपकती बूंदों के आगे कोई टूटा बर्तन रख देता है
नींद न खुले - इस एहसास के साथ ...
प्यार तो खट्टे टिकोलों में भी होता है
परछाइयों से खेलने में होता है
....
एक बात कहूँ -
प्यार भगवान् है
वह हर हाल में साथ होता है ...
तभी तो प्यार में डूबा अस्तित्व महान यज्ञ होता है,स्नेहिल घी से इसकी लपटें उद्दत होती हैं ... इन्हीं लपटों की बानगी है मेरी कलम में -
-दिव्या शुक्ला - http://divya-shukla. blogspot.in/
कभी किन्ही मधुर पलों में
तुमने मुझसे कहा
चंदन की गंध क्यूँ फूटती है
तुम्हारी चंदनवर्णी देह से
खिलखिला कर मै -----
जोर से हंस बैठी --और बोली
मुझे चंदन बहुत प्रिय है न
उसे आत्मसात कर लिया मैने
कुछ वैसे ही जैसे तुम्हे -एवं
तुम्हारे अस्तित्व को --भी
- जो -मुझमें ही विलीन है
और ये ही सत्य है ------
जिसे अंतस से चाहो
वह आत्मसात हो ही जाता है
सुषमा 'आहुति' - http://sushma- aahuti.blogspot.in/
मुझे नही पता की प्यार क्या होता है
प्यार को समझने के लिए कोई
बहुत-बहुत बड़े-बड़े ग्रन्थ नही पढ़े मैंने
प्यार को व्यक्त करने के लिए कोई
बड़े-बड़े शब्द भी नही मिले मुझे
मुझे तो सिर्फ इतना पता है...
किसी का ख्याल चुपके से होटों पे मुस्कान ला देता है
कोई हवा का झोका छू कर गुजरता है
तो किसी के होने का एहसास दिला देता है
जिसके लिए सिर्फ हम दिल से सोचते है
शायद ऐसा ही प्यार होता है.. !!!
अनुपमा पाठक - http://www.anusheel.in/
एक पावन
एहसास से
बंध कर
जी लेते हैं!
मिले
जो भी गम
सहर्ष
पी लेते हैं!
क्यूंकि-
प्रेम
देता है
वो शक्ति
जो-
पर्वत सी
पीर को..
रजकण
बता देती है!
जीवन की
दुर्गम राहों को..
सुगम
बना देती है!
बस यह प्रेम
अक्षुण्ण रहे
प्रार्थना में
कह लेते हैं!
भावनाओं के
गगन पर
बादलों संग
बह लेते हैं!
क्यूंकि-
प्रेम देता है
वो निश्छल ऊँचाई
जो-
विस्तार को
अपने आँचल का..
श्रृंगार
बता देती है!
जिस गुलशन में
ठहर जाये
सुख का संसार
बसा देती है!
रीना मौर्य - http://mauryareena.blogspot. in/
खुद में ढूंढ़ती हूँ तुम्हें......
तुम्हारी अदा को अपनी अदा बनाकर
खुद में ढूंढ़ती हूँ तुम्हें........
तुम्हारी मुस्कान को अपने चेहरे पर सजाकर
खुद में ढूंढ़ती हूँ तुम्हें.......
तुम्हारी जिम्मेदारियों को अपने कंधे पर उठाकर
खुद में ढूंढ़ती हूँ तुम्हें.......
आईने के सामने घंटों खड़े रहकर
अपने बालों को सवांरना
खुद को आईने में निहारना....
अब तो ये सब मैंने भी सिख लिया है
आसमानी रंग की शर्ट पहनकर
आसमान को देखते रहना
जाने क्या सुकून मिलता था तुम्हें इसमे
पर अब देखो मै भी आसमानी रंग की साड़ी पहनकर
घंटों आसमान को देखती हूँ
और खुद में ढूंढ़ती हूँ तुम्हें.....
तुम्हारी आदतों को अपना बनाकर
तुम्हारी खुशबू को खुद में बसाकर
ढूंढ़ती हूँ तुम्हें........
और अब लगता है मेरी तलाश पूरी भी हो गयी है
तभी तो ये आसमानी रंग
ये खुशबू
ये ज़िम्मेदारियाँ
तुम्हारी मुस्कान
सब मुझे भी तो भाते है...
क्यूंकि तुम कहीं नहीं गए हो
तुम मुझमे बसे हो......
मुझमे बसे हो सदा के लिये .....
सार्थक प्रयास दी ...
जवाब देंहटाएंमन प्रसन्न हो गया सभी कवितायेँ पढ़ कर ...!!
बहुत सकारात्मक प्रयास है आपका ..!!आभार .
सभी रचनाओं में भरा है मीठा मीठा प्यार...पढ़वाने केलिए आभार !!
जवाब देंहटाएंबहुत - बहुत सुन्दर प्रेममयी लिंक्स
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के
लिए आपका बहुत-बहुत आभार.....
:-)
वाह ... बेहतरीन रचनाओं का चयन किया है आपने ... इस उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए आभार
जवाब देंहटाएंगज़ब की श्रृंखला है ...एक जगह प्यार पे इतनी सामग्री ..वाह!
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