वो खामोश नज्में कहता था मेरे लिए
मैं बदन के रोम रोम से सुना करती थी
वो अपनी आँखों से सहलाता था मुझे
मैं घूँट घूँट उसके इश्क को पिया करती थी
वो कुछ अधूरी सी इबारत लिख गया था मेरी धडकनों पर
मैंने उन्हें अपना नाम पता बनाकर पूरा किया था
वो किसी लैला की बात किया करता था
मैंने लैला को अपने अन्दर सुलगते देखा था एक रोज़
एक रात उसने मेरी कुंवारी रूह को समेटा था
बाहर बरामदे में मोगरा ओस से भीग भीग गया था
वो एक रोज़ टांगा गया था मज़हब की सलीब पर
और सदियों से वो मेरे सीने पर क्रॉस बनकर झूल रहा है ...... पल्लवी त्रिवेदी - http://kuchehsaas.blogspot. in/
आईना लो,शीशे की किरचनें बटोरो,चुभ जाए तो लहू के कतरे में देखो........प्यार कहाँ नहीं होता ! कहीं पर इतराता,कही बलखाता,कहीं उदास,कहीं फफकता हुआ !!!
किसी के लिए प्यार गंगा जल से अधिक मायने रखता है...किसी बड़े बर्तन में नहीं, बस चार बूंदें ....
नीरा - http://neerat.blogspot.in/
गंगा जल नहीं,
प्यार की आखरी बूंदें
सहेज ली हैं
धरकनो में
लोक - परलोक
तर जाने के लिए...
तुम और प्यार मत करना
बह जायेगा
छलक कर
आंखों से ...
चार बूंद काफ़ी हैं
मुक्ति के लिए....
दो
जिंदगी भर
हर पल
तुम पर
मिटने के लिए
दो
अन्तिम साँस में
हलक और अधर पर लगा
मुस्कुराने के लिए...
पूजा उपाध्याय - http://laharein.blogspot.in/
मुझ तक लौट आने को जानां
ख्वाहिश हो तो...
शुरू करना एक छोटी पगडण्डी से
जो याद के जंगल से गुजरती है
के जिस शहर में रहती हूँ
किसी नैशनल हायवे पर नहीं बसा है
धुंधलाती, खो जाती हुयी कोहरे में
घूमती है कई मोड़, कई बार तय करती है
वक़्त के कई आयाम एक साथ ही
भूले से भी उसकी ऊँगली मत छोड़ना
गुज़रेंगे सारे मौसम
आएँगी कुछ खामोश नदियाँ
जिनका पानी खारा होगा
उनसे पूछना न लौटने वाली शामों का पता
उदास शामों वाले मेरे देश में
तुम्हें देख कर निकलेगी धूप
सुनहला हो जाएगा हर अमलतास
रुकना मत, बस भर लेना आँखों में
मेरे लिए तोहफे में लाना
तुम्हारे साथ वाली बारिश की खुशबू
एक धानी दुपट्टा और सूरज की किरनें
और हो सके तो एक वादा भी
लौट आने वाली इस पगडण्डी को याद रखने का
बस...
आती जाती लहरों को छूकर देखो, बहुत कुछ भर जाता है पोर पोर में - याद कहो,प्यार कहो....वही उदासी,वही पुकार,वही मनुहार,वही नजाकत .....
क्रमशः
आनंदित हो गयी पढ़ कर.सुबह सुबह प्यार भरे लफ़्ज़ों से प्यारे से दिन का आगाज
जवाब देंहटाएंबहुत ताज़गी मिली...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचनाएँ....
जवाब देंहटाएंशुक्रिया रश्मि दी.
अनु
उदास शामों वाले मेरे देश में
जवाब देंहटाएंतुम्हें देख कर निकलेगी धूप
आपका चयन एवं सभी रचनाएं उत्कृष्ट ... आभार आपका इस प्रस्तुति के लिए
प्यार इस तरह बांटने का... रश्मि तुम्हारा बहुत -बहुत शुक्रिया
जवाब देंहटाएं